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करता रहे सो होत है, करता नहीं कुछ आप। कर का करवा कर लिया, कहे कबीर चित चाप॥

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जो कुछ भी हो रहा है, वह उस परमकर्ता (परमपिता परमात्मा) की इच्छा से ही हो रहा है। हम अपने आप कुछ नहीं करते। वह परमात्मा ही अपने हाथों से हमसे वह करवा रहा है, जो उसकी योजना में है। For more visit at:- https://linktr.ee/SantKabirDas https://kabir-k-dohe.blogspot.com/2025/07/karta-rahe-so-hot-hai.html

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