भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं । बुरी आदतें बाद मे और बड़ी हो जाती हैं https://shivchalisas.com